By
Maulana Wahiduddin Khan

Soulveda

जब आप कोई विचार व्यक्त करना चाहते हैं, तो आपका दिमाग तुरंत एक जटिल बौद्धिक मशीन को गति देता है। यह वांछित विचार को याद करता है, इसे आपकी स्मृति में तथ्यों और घटनाओं के पेचीदा चक्रव्यूह से निकालता है, उपयुक्त शब्दों का चयन करता है, उन्हें व्याकरण के नियमों के अनुसार क्रमबद्ध करता है, फिर बोलने के लिए आपकी जीभ या लिखने के लिए आपकी उंगलियों को सक्रिय करता है। इस तरह मन के भीतर अविश्वसनीय रूप से उच्च गति से कई क्रियाएं और बातचीत होती हैं। इस प्रक्रिया में लगभग सभी इंद्रियां अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

तथ्य यह है कि आपका दिमाग अनगिनत विचारों से भरा हुआ है, लेकिन अगर आपको उनमें से किसी एक को भी अंग्रेजी में व्यक्त करना है, तो आपको सबसे पहले भाषा को अस्तित्व प्रदान करने वाले सवा लाख शब्दों के जंगल से उपयुक्त शब्दों का चयन करना होगा, जिसके बाद आपको अविश्वसनीय गति के साथ चीज़ों सही क्रम में रखना होगा और केवल तभी आप एक सार्थक भाषायी क्रम को बोल या लिख सकते हैं। हालांकि यह प्रक्रिया अकल्पनीय रूप से जटिल है, क्योंकि आपके दिमाग में बिजली की गति से कई ज्ञात और अज्ञात प्रक्रियाएं चल रही होती हैं। यह इन कारकों की पारस्परिक क्रिया है, जिसके परिणामस्वरूप सार्थक भाषण या लेखन होता है।

यह सब कैसे होता है? हाल की रिसर्च से पता चलता है कि हमारे दिमाग में एक अविश्वसनीय रूप से जटिल प्रणाली है, जो याददाश्त पर निर्भर है, एक अति चमत्कारी प्राकृतिक घटना। वाशिंगटन, डी.सी. में जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में चिकित्सा के सहायक प्रोफेसर नील बर्नार्ड के अनुसार, “आपके मस्तिष्क की 100 बिलियन तंत्रिका कोशिकाओं में से दो या उससे अधिक तंत्रिकाओं के जुड़ने से, जिन्हें न्यूरॉन्स कहा जाता है, याददाश्त बनती है, फिर इस संयोजन को मज़बूत किया जाता है, ताकि आप इसे बाद में उपयोग कर सकें” और “आपका मस्तिष्क न्यूरॉन्स विकसित करना जारी रखता है और उम्र बढ़ने के साथ स्मृति को मज़बूत करने के लिए नए संयोजन बनाता है, यानि एक घटना जिसे न्यूरोप्लास्टिकिटी कहा जाता है,” कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन फ्रांसिस्को, मेमोरी एंड एजिंग सेंटर में एक न्यूरोसाइकोलॉजी फेलो ब्रायन बेचर कहते हैं। (याददाश्त में सुधार के नौ तरीके, फॉक्स न्यूज, 18 दिसंबर, 2013)।

 

लोग अतीत के महान चमत्कारों के बारे में बात करते हैं, जैसे मूसा की छड़ी, सुलेमान की अंगूठी आदि। लेकिन, इनसे भी बड़ा एक चमत्कार है, जिसे ईश्वर ने हर व्यक्ति को प्रदान किया है। वह मन का चमत्कार है। यदि आप इसे व्यक्तिगत चमत्कार के रूप में पहचानते हैं, तो आप कृतज्ञता की ऐसी रोमांचकारी भावना विकसित करेंगे कि सभी शिकायतें और विरोध बेहूदा और अनावश्यक लगेंगे और आप ईश्वर के प्रति अनंत आभार की भावना के साथ जीवन व्यतीत करेंगे।

यह लेख मौलाना साहब की लीडिंग अ स्प्रीचुअल लाइफ से ली गई है।

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