By
Maulana Wahiduddin Khan

Soulveda

ब्रिटिश कवि “वाल्टर डी ला मअर (Walter de la mare.. 1853-1956) का एक शेर है, यह बड़ी विचित्र बात है कि मिस टी (इंसान) जो कुछ खाता है, वह उसके अंदर दाखिल होकर उसका अंश बन जाता है.

It’s a very odd thing

As odd can be –

That whatever Miss T eats,

Turn into Miss T..

यह बात निःसंदेह बहुत ही विचित्र है कि इंसान की खुराक (आहार) ,चाहे वह जमीनी खुराक हो या हैवानी (शाकाहारी, मांसाहारी) खुराक,  इसके पेट में दाखिल होती है। एक अति जटिल व्यवस्था इसको पचाती (digest) है। इंसान के शरीर में 200 से अधिक प्रकार की कोशिकाएं (cells) हैं। यह कोशिकाएं शरीर के भिन्न भागों का पार्ट बनती हैं। यह कोशिकाएं बराबर बदलती रहती हैं। इंसान का शरीर इन्हीं कोशिकाओं का समूह होता है। वह जन्म से मृत्यु तक इंसान के शरीर का हिस्सा बनी रहती हैं। यह अति अद्भुत प्रकार की शारीरिक व्यवस्था है, जो हर स्त्री व पुरुष को मुफ्त प्राप्त रहती है। इसके अतिरिक्त इंसान के अस्तित्व से बाहर की पूरी दुनिया, इंसान के लिए लाइफ सपोर्ट सिस्टम का काम करती है।

इंसान के शरीर में लगभग 80 ऑर्गन (organ) होते हैं, यह समस्त अंग अति तालमेल की शैली में काम करते हैं, इस प्रकार इंसान इस योग्य बनता है कि वह अपने समस्त कार्य अंजाम दे सके और अधिक यह कि यह समस्त ऑर्गन स्वचालित मशीन की तरह काम करते हैं, इंसान के इरादों का इसमें कोई दखल नहीं। इस प्रकार असंख्य चीज़ें हैं, जो इंसान के शरीर में हर समय गतिशील रहती हैं, तब इंसान इस योग्य बनता है कि वह अपने समस्त कार्यों को अंजाम दे सके। इंसान यदि प्रकृति की इस व्यवस्था को लेकर सोचे तो वह शुक्र (कृतज्ञता) के सागर में डूब जाए, ना शुक्री (अकृतज्ञता) की बात कभी इसकी जुबान से न निकले।

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