By
Maulana Wahiduddin Khan

Soulveda

एक महिला ने अंग्रेजी पढ़ी। उनके पिता मौलवी थे। उनके घर पर अंग्रेजी का माहौल न था। इसलिए MA (अंग्रेजी) उन्होंने बमुश्किल थर्ड नंबरों से पास की। उनका शौक था कि उनको अंग्रेजी लिखना आ जाए। यह काम एक अच्छे गुरु के बगैर नहीं हो सकता था, लेकिन उनके घर के हालात इसकी इजाज़त नहीं देते थे कि वह कोई गुरु रखें और उसकी सहायता से अपने अंदर अंग्रेजी लिखने की योग्यता पैदा करें।

मगर, जहां समस्त रास्ते बंद होते हैं, वहां भी एक रास्ता आदमी के लिए खुला होता है। शर्त केवल यह है कि आदमी के अंदर तलब हो और वह अपने उद्देश्य की प्राप्ति में अपनी पूरी शक्ति लगा दे। महिला ने गुरु की समस्या का एक अति सफल समाधान तलाश कर लिया। उन्होंने लंदन की छपी हुई एक किताब पढ़ी।

उसमें अंग्रेजी लेखक ने बाहरी देशों के अंग्रेजी विद्यार्थियों को यह परामर्श दिया था कि वह अंग्रेजी लिखने का अभ्यास इस प्रकार करें कि अंग्रेजी भाषा की कोई किताब लें, उसके बाद रोज़ाना उसके कुछ पृष्टों को लेकर उसका अपनी भाषा में अनुवाद करें। जब ऐसा करलें तो उसके बाद दोबारा किताब खोलें और उसकी छपी हुई इबारत (लेख) का अपने अंग्रेजी अनुवाद से तुलना करें, जहां नज़र आए कि उन्होंने कोई गलती की है या अभिव्यक्त करने के तरीके में कोई त्रुटि होई है, उसको अच्छी प्रकार दिमाग की पकड़ में लाएं और किताब के प्रकाश में स्वयं अपने लेख का सुधार करें।

महिला ने इस बात को पकड़ लिया, अब वह रोज़ाना इस पर अमल करने लगीं।

Category/Sub category

Share icon

Subscribe

CPS shares spiritual wisdom to connect people to their Creator to learn the art of life management and rationally find answers to questions pertaining to life and its purpose. Subscribe to our newsletters.

Stay informed - subscribe to our newsletter.
The subscriber's email address.

leafDaily Dose of Wisdom